यही समय है ‘धन वापसी’ का

भारत एक संपन्न देश है लेकिन भारतीय गरीब हैं। यही समय है बदलाव लाने का।

भारत की सार्वजनिक संपत्ति में प्रत्येक भारतीय परिवार के हिस्से में 50 लाख रुपये आते हैं। यह ‘धन वापसी’ का समय है- हर परिवार को हर साल 1 लाख रुपये की जो ‘धन वापसी’ होगी उससे हम गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसी ‘हमेशावाली’ समस्याओं को दूर कर सकते हैं।

यह एक बोल्ड आइडिया है, एक साहस भरा कदम है। मैं समझाऊंगा कि सार्वजनिक धन क्या है, हमें इसे वापस क्यों प्राप्त करना चाहिए और इसे हम कैसे हासिल कर सकते हैं!

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मैं हूं राजेश जैन मैं कोई राजनेता नहीं हूं। मैं एक प्रॉब्लम सॉल्वर हूं, एक एंटरप्रेन्यॉर...। 25 वर्षों तक, मैंने टेक्नोलॉजी की दुनिया में लाखों लोगों की समस्याएं हल की हैं।

90वें दशक के उत्तरार्ध में, दुनिया भर के भारतीयों के लिए इंफॉरमेशन के गैप भरने के लिए मैंने भारत का पहला इंटरनेट पोर्टल स्थापित किया। आपमें से कुछ पुराने लोग- Samachar.com, Khoj.com, khel.com और Bawarchi.com को याद कर सकते हैं। अब, मेरी कंपनी ब्रांड्स को उनके ग्राहकों के साथ संबंध गहरे बनाने में मदद करती है।

यह 2008 था, जब मेरी जिंदगी की दिशा बदल गई- मुझे ‘नयी दिशा’ मिली, वह भी एक सवाल से! जब मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछा, "राजेश, तुम्हारा 3 साल का बेटा जब बड़ा हो जाएगा और अगर तुमसे यह पूछेगा- 'पिताजी, जब आपने देखा कि भारत में गलत हो रहा है। उस समय आपके पास समय था और पैसा भी था, तब आपने इसके बारे में कुछ क्यों नहीं किया?'- तब तुम उसे क्या जवाब दोगे?" दोस्त के इस सवाल ने मुझे झकझोर कर रख दिया और उस दिन से मेरे जीवन की एक नई यात्रा पर प्रारंभ हुई।

मुझे यह देखना था कि भारत की दिशा-दशा को बदलने के लिए राजनीति का उपयोग कैसे किया जाए? सन 2009 में अपने कुछ लोगों के साथ लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मैंने ‘फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी’ (Friends of BJP) की स्थापना की।

2011 में, मैंने लिखा कि ब्लॉग पोस्ट अगले लोकसभा चुनावों में बीजेपी कैसे अपनेआप बहुमत से जीत सकती है! वर्ष 2012 में नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान के लिए मैंने स्वेच्छा से 100 लोगों की टीम के साथ स्वयं अपने धन से मीडिया, डेटा, विश्लेषण जुटाए। 2014 के चुनावों में बीजेपी को बहुमत मिला और मोदी भारत के प्रधान मंत्री बने।

बाद में मुझे एहसास हुआ कि शासक तो बदल जाते हैं, यदि शासन-व्यवस्था वही रही तो नतीजे नहीं बदलते। इन 71 वर्षों में 20 सरकारें, भारतीयों की तीन पीढ़ियां और राजनेता हमारे सामने गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के समाधान देने से पहले खड़े हैं लेकिन थोड़ा ही बदलाव नजर आता है। ये हमेशावाली समस्याएं अभी भी हमारे साथ हैं। भारत को जिसकी जरूरत थी, वह है- ‘नयी दिशा’! इस सोच से जन्म हुआ धन वापसी

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आइए अपने सवालों पर वापस आते हैं। हमारा धन कहां है? भारत की सार्वजनिक संपत्ति क्या है? यह धन है सार्वजनिक भूमि, खनिज-भंडार और सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों और उनकी संपत्तियों के रूप में संचित है। हम सभी इस संपत्ति में शेयरधारक हैं, हिस्सेदार हैं। यह संपत्ति विदेशी बैंकों में नहीं बल्कि यह भारत में ही है- हमारे चारों ओर, हमारे आसपास। यह काला पैसा नहीं है, यह हमारा अपना पैसा है। और यह धन कितना है? 1500 लाख करोड़ रुपये! 15 अंक के बाद इसमें 14 शून्य हैं। भारत के हर परिवार के हिस्से में इस पैसे का 50 लाख रुपये आता है।

भारत समृद्ध है, फिर भी भारतीयों को गरीब बनाए रखा गया है। एक औसत भारतीय परिवार सालाना मात्र 1 लाख तक कमाता है, प्रति माह 10,000 रुपये से भी कम और वो भी पांच जनों के परिवार के लिए। और वे सब बहुत कम पैसों की बचत कर पाते हैं। ...और हमें यही सब बदलना है। इसीलिए हमें अपनी संपत्ति वापस चाहिए।

यह धन राजनेताओं और नौकरशाहों के नियंत्रण में है। उन्होंने हमारी संपत्ति हथिया ली है- जैसा अंग्रेजों ने किया था। जरा देखो उनका विलासिता भरा जीवन। वे आलीशान घरों में रहते हैं, खर्चीली यात्राएं करते हैं और कड़े सुरक्षा-घेरे में रहते हैं- और उनकी ये सारी ऐश हमारे द्वारा भरे गए टैक्स के पैसों से होती है।

चौकीदार आज जमींदार बन गए हैं।

अब इस लूटखोरी को रोकने का समय आ गया है। अब यह समय है हमारे धन की मांग करने का!

इस धन को वापस पाने का मतलब है कि हम अपनी मर्जी से इसे अपने परिवार पर खर्च कर सकते हैं।

जब हम भोजन पर खर्च करते हैं, तो इससे किसानों के लिए आमदनी होती है। हम जो खर्च करते हैं वह विक्रेताओं के लिए आमदनी बन जाती है। जब हम अन्य वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च करते हैं, तो यह रोजगार को बढ़ावा देने और नौकरियां पैदा करने में मदद करता है। जब विभिन्न योजनाओं के लाभ प्राप्त करने में राजनीतिक और नौकरशाहों के निर्णय लेने के स्वेच्छाधिकार समाप्त हो जाएगा, तो हम भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकते हैं।

धन वापासी वह व्यावहारिक समाधान है जो गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार की तीनों बुराइयों को खत्म कर देगा। ‘धन वापसी’ एक सार्वभौमिक समृद्धि क्रांति है जो हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा सभी भारतीयों के लिए देखे गए स्वप्न को पूरा करेगी- सभी नागरिकों के स्वतंत्रता, समानता और समृद्धि के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए। ‘धन वापसी’ अपनी शर्तों पर जीवन जीने की वास्तविक स्वतंत्रता है- जहां सरकार हमारी मालिक न हो, इस प्रगति में सभी भारतीय एक-दूसरे के भागीदार बनें। ‘धन वापसी’ निष्पक्षता और न्याय की हिमायती है। ‘धन वापसी’ हर भारतीय का अधिकार है।

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तो, हम अपनी संपत्ति वापस कैसे प्राप्त कर सकते हैं? हम ‘धन वापसी’ कैसे संभव बना सकते हैं? राजनेता और नौकरशाह हमारी संपत्ति वापस नहीं देने वाले। उन्होंने तो कभी हमें इस धन के बारे में बताया ही नहीं, वे अभी भी इस धन को हमसे छुपाते चले आ रहे हैं। ‘धन वापसी’ के लिए एक और स्वतंत्रता आंदोलन की आवश्यकता होगी- राजनेताओं और नौकरशाहों के चंगुल से हमारी अपनी संपत्ति को मुक्त कराने के लिए!

पहला कदम है- हमारा संख्याबल दिखाने की। जब हम बड़ी संख्या में और एक साथ होंगे तभी ‘धन वापसी’ को संभव बना सकते हैं। जब हम अपनी आवाज और वोट की शक्ति का प्रयोग करने के लिए तैयार होंगे तभी हम राजनेताओं और नौकरशाहों को कार्यवाही करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।

अपनी संख्या दिखाने के लिए हमने DhanVapasi.com में एक याचिका जारी की है जो संसद में मांग रखेगी कि हर साल हर परिवार को 1 लाख रुपये वापस किए जाएं। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस पर अपनी सहमति दर्शाएं।

यह तो अभी शुरूआत है। मेरी टीम धन वापसी’ विधेयक तैयार कर रही है जो हर सांसद को भेजी जाएगी ताकि वे इसे पढ़ सकें, चर्चा कर सकें, बहस कर सकें और फिर इसे पास कर दें। लेकिन वे तब तक ऐसा नहीं करेंगे जब तक कि वे हमारी जोरदार आवाज़ नहीं सुन लेते और हमारे संगठित वोट की ताकत नहीं देख लेते।

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समृद्धि हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और ये हमें चाहिए और हम इसे लेकर रहेंगे।

आज से कुछ साल बाद, जब हमारे अपने ही लोग हमसे पूछेंगे, "आपने भारत के लिए क्या किया?" तब आप उनकी आंखों में आंखें डाल कर जवाब दे सकते हैं, "मैंने ‘धन वापसी’ को संभव बनाया। मैंने हम सबको और हर भारतीय को समृद्ध बनाया।"

दोस्तो, यह समय कुछ करने का है। अब हमारी बारी है।

पर याचिका पर अपनी सहमति दर्शाएं DhanVapasi.com और अपने दोस्तों-रिश्तेदारों और परिवार को ऐसा करने के लिए कहें।

आइए, बेहतर कल के लिए आज ही कार्य करें।

जय हिंद!