जैसे हमने पिछले कॉलम में चर्चा की थी, भारत की सरकारें और राजनीतिक पार्टियां, समृद्धि मशीन के स्वामि हैं और इसे संचालित करते हैं जो हमें धन पैदा करने का मौका नहीं देती है।
जैसे हमने पिछले कॉलम में चर्चा की थी, भारत की सरकारें और राजनीतिक पार्टियां, समृद्धि मशीन के स्वामि हैं और इसे संचालित करते हैं जो हमें धन पैदा करने का मौका नहीं देती है।
इस तरह भारत में समृद्धि विरोधी मशीन का संचालन किया जा रहा है:
● हमें स्वतंत्रता से वंचित किया गया है।
● हमारे साथ जाति, धर्म और समूह संबद्धता के आधार पर व्यवहार किया जाता है।
● हमारी आर्थिक तथा सामाजिक गतिविधियों में सरकार संलग्न रहती है और अनावश्यक हस्तक्षेप करती है।
● सरकारी निर्णय प्रणाली बेहद केंद्रीकृत है तथा हमसे पृथक है।
● न्याय में देरी।
● सरकार द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को नियंत्रित कर उसका दुरुपयोग किया जाता है।
एक साथ देखा जाए तो, इस मशीन का हर घटक एक साथ काम करता है यह सुनिश्चत करने के लिए कि भारतीय सदा गरीब बने रहें। एक राजनीतिक स्टार्टअप ही इस मशीन को नष्ट कर सकता है। इस स्टार्टअप के मूल में जरूरी तौर पर समृद्धि सिद्धांत होने चाहिए जो ‘वह सरकार सबसे अच्छी है जो सबसे कम नियंत्रण रखे’ के नियम पर आधारित हों। सभी नीतियां इन पांच मूल सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए:
1. स्वतंत्रता:

सरकार किसी भी व्यक्ति के जन्मसिद्ध अधिकारों का संक्षिप्तीकरण नहीं कर सकती। नागरिकों के पास अभिव्यक्ति की आज़ादी की गारंटी होनी चाहिए तथा संपत्ति के अधिकार मिलने चाहिए। सरकार को हर व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कार्य करने के अवसर देने चाहिए तथा सुनिश्चत करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के अधिकारों का हनन ना कर सके।
2. गैर-भेदभाव:

सरकार निषिध्द है लोगों के बीच भेदभाव करने से। धर्म, जाति या भाषाई पृष्ठभूमि के आधार पर किसी भी व्यक्ति या समूह को कोई विशेष दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए।
3. गैर-हस्तक्षेप:

नागरिकों के बीच स्वैच्छिक आदान-प्रदान में सरकार को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सरकार को किसी भी नागरिक को न तो विशेषाधिकार देने चाहिए और ना ही अक्षम बनाना चाहिए।
4. सीमित सरकार:

सरकार को व्यापार और व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए। सरकार को एक रेफरी की तरह होना चाहिए न कि खिलाड़ी की तरह। भारत को एक मजबूत सरकार की जरूरत है, जिसके पास प्राथमिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए सीमित शक्तियां रहें- बाह्य रक्षा और आंतरिक सुरक्षा, नागरिकों की अधिकारों की रक्षा करना और विवादों का समाधान करना। यदि सरकार के पास अपनी प्राथमिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए आवश्यकता से अधिक शक्ति हो तो वह इन्हीं प्राथमिक जिम्मेदारियों को पूरा कर पाने में असक्षम हो जाती है।
5. विकेन्द्रीकरण:

सबसिडियारिटी सिद्धांत के तहत, प्रशासन के मामलों का संचालन लोगों के निकटम सक्षम प्राधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए न कि केंद्रीय प्राधिकरण की द्वारा। किसी भी सार्वजनिक एजेंसी को वह नहीं करना चाहिए जो एक निजी एजेंसी बेहतर तरीके से कर सकती है और किसी भी उच्च स्तरीय सार्वजनिक एजेंसी को ऐसे कार्य करने का प्रयास नहीं करने चाहिए जो निचले स्तर की एजेंसी द्वारा बेहतर रूप से किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, सेवाओं का प्रावधान सबसे पहले स्थानीय सरकार द्वारा किया जाना चाहिए, फिर राज्य सरकार और अंत में केंद्र सरकार द्वारा।
पिछले 70 वर्षों में, इन सिद्धांतों का बार-बार उल्लंघन किया गया है। जिसके कारण, भारतीय समृद्ध नहीं है। हम आज से 10 गुणा ज्यादा अमीर हो सकते हैं। जिन लोगों ने हमें हर बार समृद्धि से दूर रखा वे दूसरे अवसर के लायक नहीं है। भारत को उन लोगों द्वारा संचालित एक ऐसे राजनीतिक स्टार्टअप की जरूरत है जो एकजुट होकर भारत के पहले समृद्धि प्रधानमंत्री का चुनाव करें।