आइए, ‘धन वापसी’ याचिका पर अपनी सहमति दर्शा कर हर भारतीय को मुक्त और संपन्न बनाएं।

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माननीय प्रधान मंत्री और संसद सदस्यगण,

भारत एक संपन्न देश है लेकिन भारतीय गरीब हैं। भारतीयों की सार्वजनिक संपत्ति– भूमि, सरकारी स्वामित्व वाली बीमार कंपनियों और खनिज संपदा के रूप में अवरूद्ध है। यह भारतीय जनता की अपनी संपत्ति है जो इस समय सरकार के पास निष्क्रिय पड़ी है।

पिछले 70 वर्षों में, सभी सरकारें इन संसाधनों का जनता के हित में सही तरह से उपयोग नहीं कर पाईं और देश में समृद्धि लाने में नाकाम रहीं हैं। हमारी सार्वजनिक संपत्ति को लगातार बर्बाद किया जा रहा है और उसका दुरुपयोग हो रहा है। अगर हम एक समृद्ध राष्ट्र में रहना चाहते हैं और अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखना चाहते हैं तो हमें गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, अशिक्षा और भ्रष्टाचार को हर हाल में खत्म करना ही होगा।

एक मोटे अनुमान के आधार पर प्रत्येक भारतीय के हिस्से में इस अधिशेष सार्वजनिक संपत्ति का मूल्य कम-से-कम 10 लाख रुपये से अधिक आता है। तो हमें क्यों पैसों की कमी के चलते दुख भुगतते रहना चाहिए? हमारे बच्चे क्यों भूखे सोएं? अपनों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए फिर क्यों हम तकलीफ उठाएं?

भारतीयों को समृद्ध बनाना आपके वश में है। लोगों का भविष्य आपके हाथों में है। हम आपसे बस यही आग्रह कर रहे हैं कि नैतिक रूप से जो सही है और लंबे समय से जो नहीं हुआ है; अब वही करने का समय आ गया है। कृपया ‘धन वापसी’ को साकार करें और हर भारतीय परिवार को हर साल 1लाख रुपये लौटाएं। 130 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाएं और सपने आपके हाथों में हैं। .

यदि अब नहीं, तो फिर कब? यदि आप नहीं, तो दूसरा कौन?

भवदीय,
हम, भारत के लोग

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