कैसे मिठाइयों की तरह बंटती हैं ज़मीने (भाग-2)

जब रक्षक ही भक्षक बन जाए

वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को सरकारी योजना के तहत जमीन का आवंटन कर वहां आलिशान सोसायटी का निर्माण किया जाता है। यह जमीन पहले उन्हें राजस्व विभाग से उपलब्ध होती थी। लेकिन जैसे-जैसे राजस्व विभाग के पास जमीन की कमी होने लगी, वैसे-वैसे उन्होंने आम जनता को घर उपलब्ध कराने वाली म्हाडा से जमीन का दान कर इन अधिकारियों की झोली भरना शुरू कर दिया गया।

महाराष्ट्र में मुख्य रूप से 1976 में आईएएस अधिकारियों नें गृहनिर्माण संस्था की स्थापना कर सरकार से जमीन प्राप्त करने की शुरूआत की। 1984-1985 से मुंबई में आईएएस अधिकारियों के आलीशान सोसायटी का निर्माण होने लगा। उन्हें जमीन सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने के लिए उन्हें 10 वर्ष पुराने दर पर जमीनें आवंटित की गयी। यानी की कम से कम कीमत पर उन्हें जमीन प्रदान की गयी। इतना ही नहीं उस जमीन के 15 प्रतिशत हिस्से पर व्यापार करने की भी अनुमति दे दी गयी। जिससे इमारत के निर्माण कार्य का खर्च भी उसी से निकल गया। इस तरह यह जगह इन अधिकारियों को मुफ्त में ही प्राप्त हो गयी। इतना ही नहीं, कुछ सोसायटीयों ने व्यावसायिक स्थान किराए पर देकर लाखों करोड़ों रुपये कमाए हैं।

वरिष्ठ आईएएस अधिरारियों का मुंबई में गृहनिर्माण संस्था :

• मंत्रालय के पास- ब्युएना विस्ता • चर्चगेट – चार्ले व्हिला • वर्ली – असीम, प्रिया, प्रणिता • जुहू – वसुंधरा • अंधेरी – पाटलीपुत्र (चार बंगला, अंधेरी पश्चिम),, मीरा (ओशिवरा), कादंबरी (चार बंगला, अंधेरी पश्चिम), संगम (जुहू-वर्सोवा लिंक रोड, अंधेरी पश्चिम), विनायक • वांद्रे – सिद्धांत, रेणुका (वांद्रे पूर्व), न्यायसागर • सुरभि – ओशिवरा • सांताक्रुझ – मैत्री ( इन गृहनिर्माण संस्था द्वारा निर्माणकार्य शुरू है।)

कुछ गृहनिर्माण संस्था ने व्यापारी गाला बड़ी कंपनियों के शो रूम को किराए पर दी है। जिससे वार्षिक तौर पर करोड़ों रूपए से अधिक किराया प्राप्त होता है। कुछ सोसायटी में भूमि तल के व्यापारी गाले को मापने की आवश्यकता है, क्योंकि वे जगहें 15 प्रतिशत से अधिक उपयोग में लायी जा रही हैं।

सरकारी निवास स्थान के लिए सरकार के नियम

सरकार के आदेशनुसार, यदि स्वामित्व वाले घर का अधिकार उपलब्ध हैं, तो सरकारी अधिकारियों को सरकारी योजना के तहत मिलने वाले अधिकारियों को रिहा करना चाहिए; हालांकि, इन अधिकारियों ने इस फैसले में भी बदलाव किए। मंत्रालय जाने में आसानी हो इसलिए उपनगर में रहने वाले अधिकारियों के लिए सरकारी निवास में रहना आसान हो गया। इसलिए अधिकांश अधिकारियों ने अपना स्वयं का घर किराए पर देकर प्रति माह लाखों रूपए कमा रहे हैं। लेकिन इस मुद्दें पर भी कभी सरकार द्वारा कोई उचित कारवार्ई नहीं की गयी। आईएएस अधिकारियों को ज़मीन आवंटित के अधिसूचना में समय-समय पर बदलाव किए गए।

घरों की पारिवारिक मासिक आय नियम

इन घरों को प्राप्त करने के लिए आईएएस अधिकारियों के परिवार की मासिक आय को एक सीमा तक दर्शाना होता है। लेकिन इन अधिकारियों के परिवार की मासिक आय पर नजर डाले तो आम आदमी को चक्कर जरूर आ सकता है। सूचना के अधिकार के तहत पाटलीपुत्र गृहनिर्माण संस्था के सदस्य प्राप्त किए हुए अधिकारियों की आय के मामले में कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। 1999 में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने अपनी पारिवारिक मासिक आय सिर्फ दस हजार ही दर्ज कराई थी औऱ कुछ अधिकारियों ने अपनी पारिवारिक मासिक आय 20 से 40 दर्ज कराई थी। इससे यह बात साबित होती है कि नियम के तहत आने के लिए ये अधिकारी जो झूठी चाल चलते हैं, वह सबके सामने आ ही जाती है।